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________________ 229 नीम (2) वातरक्त में-सफेद फरहद की छाल का चूर्ण, घी और मिश्री के साथ लेना चाहिए। (3) धातुविकार पर--सफेद फरहद की छाल का चूर्ण मक्खन के साथ लेना चाहिए / ... (4) विच्छू के विष पर-फरहद की छाल का रस पीना चाहिए। (5) कर्णरोग में-फरहद के फूल का रस छोड़ें। . नीम सं० निम्ब, हि० नीम, ब० निमगाछ, म० कडुनिम्ब, गु० लिंबडो, क० बडवेवु, ता० वेपुम् मरम् , तै० वेया, फा० नेनवूनीम दरख्तहक, अँ० निम्बट्री---Nimbutree, और लै० एकाडिरेकटा इंडिका-Acadiracta Indica. . विशेष विवरण-नीम के वृक्ष भारतवर्ष में प्रायः सर्वत्र पाए जाते हैं। यह चालीस-पचास फिट तक का ऊँचा होता है / यह पुराना होने पर दस-बारह वर्गफिट तक मोटा होता है / इसकी प्रत्येक शाखा में प्रायः एक हाथ तक लम्बी सींकें होती हैं। उन सीकों में दोनों ओर पत्ती होती हैं / यह पत्ती आगे के ओर लम्बी, बीच-बीच में कटी, जरा रूखी और हरे रंग की होती हैं। इसमें सफेद रंग के फूल लगते हैं। रात के समय इनमें से बड़ी भीनी और
SR No.004288
Book TitleVanaspati Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHanumanprasad Sharma
PublisherMahashakti Sahitya Mandir
Publication Year1933
Total Pages306
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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