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________________ अरणी सं० अग्निमन्थ, हि० अरणी, ब० गणिर, म० थोरऐरण, गु० अरणी, क० नरबल, तै० नेलिचेटु, और लै० कोलोडेन्ड्रन cataifea-Clorodendron Phlomides. विशेष विवरण-इसका पेड़ होता है। पत्ते गोल, छोटे और कड़े होते हैं / फूल सफेद होते हैं / इसके फल छोटे करौंदे के समान होते हैं / यज्ञ में इसकी लकड़ी से आग पैदा की जाती थी। अरणी छोटी और बड़ी दो जाति की होती है। काले और सफेद फूल होने के कारण दो प्रकार की और भी होती है। छोटी अरणी का पेड़ पाँच से ग्यारह फिट तक ऊँचा होता है। बड़ी अरणी का पेड़ तीस फिट तक ऊँचा पाया गया है। बड़ी अरणी के पत्ते छोटी से कुछ छोटे और काँटेदार होते हैं / अरणी के फूल निक. लते हैं / वे अपनी मनोमुग्धकारी गन्ध से मनुष्य को अपनी ओर वरवस आकृष्ट कर लेते हैं। गाँवों, खेतों और बगीचों में इसके वृक्ष बहुतायत से पाए जाते हैं। दशमूल में इसकी जड़ मिलाई जाती है। यह विशेष करके लेप और पट्टी बाँधने के काम आती है। गुण-तर्कारी कटुका तिक्ता तथोष्णानिलपाण्डुजित् / शोथश्लेष्माग्निमांद्यार्थीविट्वन्धामविनाशिनी // -50 नि० अरणी--कड़वी, तीती, उष्ण तथा वायु, पाण्डु, शोथ, कफ, अग्निमांद्य, अर्श और मलवद्धता तथा आमनाशक है /
SR No.004288
Book TitleVanaspati Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHanumanprasad Sharma
PublisherMahashakti Sahitya Mandir
Publication Year1933
Total Pages306
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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