________________ 221 ___ कटाई गुण-वृहती कटुतिक्तोष्णा वातजिज्ज्वरहारिणी / __अरोचकामकासन्नी श्वासहृद्रोगनाशिनी ॥-रा. नि. कटाई-कड़वी, तीती, उष्ण तथा वात, ज्वर, अरोचक, प्राम, कास, श्वास और हृद्रोगनाशक है। गुण-फलानि वृहतीनां च कटुतिक्त लघूनि च / ___कण्डूकुष्टकृमिघ्नानि कफवातहराणि च ॥-शा० नि० कटाई का फल-कड़वा, वीता, हलका तथा खुजली, कुष्ठ, कृमि, कफ और वातनाशक है। गुण-लघ्वी वृहतिका वातश्वासशूलकफापहा / ____ अग्निमांद्यं ज्वरं छदि हृगुगामं च नाशयेत् ॥–शा० नि० छोटी कटाई-वात, श्वास, शूल, कफ, अग्निमांद्य, ज्वर, छर्दि, हृद्रोग और आमनांशक है / गुण-श्वेता वृहतिका रुच्या कफवातविनाशिनी / ___ अंजनान्नेत्ररोगघ्नी गुणास्त्वन्ये तु पूर्ववत् ॥-रा० नि० सफेद कटाई-रुचिकारक, कफ-वातनाशक एवं अंजन करने से नेत्र-रोगनाशक है / अन्य गुण पहले जैसे हैं। विशेष उपयोग ( 1 ) ऊर्द्धश्वास पर-कटाई के काढ़े में पीपर का चूर्ण मिलाकर पीना चाहिए। (2) आँख आने पर-कटाई के बीज का अंजन करें। .. (3) सन्धिवात पर-कटाई पीस और गरम करके लगाएँ।