________________ वनस्पति विज्ञान 200 (8) अफीम का नशा उतारने के लिये-कपास का बीज और फिटकिरी का चूर्ण खिलाना चाहिए / (10) मासिक धर्म के लिए-कपास के तेल के साथइलायची, जीरा, हल्दी और इन्द्रायण की जड़ एक-एक माशा पीस और पोटली बनाकर चौथे दिन योनि में रखनी चाहिए। (11) कामलारोग में-कपास के जीरा का रस, नाक से पीना चाहिए। (12) अर्श में-कपास का रस तीन तोले, दूध के साथ मिलाकर पीना चाहिए। (13) आगन्तुक ज्वर में-कपास का पत्ता, दूध के साथ पीस और गरम करके लेप करना चाहिए / कुश सं० हि० ब० कुश, म० दर्भ, गु० दरभ, क० बिलीप बुदकुशि, तै० कुशदूर्वालु दुभ, और लै० एंड्रोपोगन नारडेइडिसAudropogon Nordaides. विशेष विवरण-कुश दो जाति का है। १-कुश और २-दर्भ। किन्तु इसमें कोई विशेष अन्तर नहीं है। यह प्रायः रेतीली जमीन में होता है। यद्यपि कुश और दर्भ दोनों समान गुणवाले हैं / तथापि दर्भ की अपेक्षा कुश अधिक गुणदायक है। एक के अभाव में दूसरा लिया जा सकता है।