________________ 199 कपास बनकपास-शीतल, रुच्य तथा व्रण और शस्त्रक्षत नाशक है। गुण-कालाञ्जनी कटूष्णा स्यादम्लामकृमिशोधिनी / ___अपानावर्त्तशमनी जठरामयहारिणी ॥–रा० नि० काला कपास-कड़वा, उष्ण, खट्टा ; आम तथा कृमि नाशक; अपानावर्त्तशामक और उदररोगनाशक है। विशेष उपयोग (1) रक्तस्राव पर-कपास के पत्ता का रस; अथवा कपास की जड़ चावल की धोअन के साथ पीसकर दोनों समय पीना चाहिए / (2) विषूचिका में कपास के कोमल जीरों को खाएँ। (3) ज्वर में-कपास का कोमलजीरा और कालीमिर्च पीसकर पीना चाहिए। (4) सर्पविष पर-कपास के पत्ते का रस पीना तथा लगाना चाहिए। (5) गंडमाला में-कपास की जड़ का चूर्ण और चावल का आटा, घी में भूनकर दूध के साथ खाना चाहिए। (6) दूध बढ़ाने के लिए-कपास और ईख की जड़, कॉजी के साथ पीसकर स्त्रियों के स्तन पर लगाना चाहिए / (7) स्तनरोग पर-कपास की जड़, दुधिया और गेहूँ पीसकर लेप करना चाहिए। (8) बिच्छू के विष पर-कपास का पत्ता और राई पीसकर लगाना चाहिए।