________________ जनस्पति-विज्ञान गृध्रसी च प्रतिश्यायं कासं श्वासं च नाशयेत् / पित्तनाशकरी प्रोक्ता पर्णमस्या लघु स्मृतम् // कृमिनाशकरं प्रोक्त पूर्ववैद्यैः कृपालुभिः।-शा० नि० मेउड़ी-कड़वी, तीती, उष्ण, रूखी, कषैली, स्मृतिदायक, नेत्र्य, केश्य, हलकी, अग्निदीपक, मेध्य, वर्ण्य तथा गुदवात. क्षय, सन्धिवात, वात, शोथ, आम, कृमि, कुष्ठ, कफ, प्लीहा, गुल्म, कण्ठ की पीड़ा, विषशूल, अरुचि, ज्वर, मेदरोग, गृध्रसी, जुकाम, खाँसी, श्वास और पित्तनाशक है। मेउड़ी की पत्ती-हलकी और कृमिनाशक कही गई है। गुण-प्रोक्ता चारण्यनिर्गुण्डी पथ्या पित्तज्वरं हरेत् / विषं च गृध्रसीवातं नाशयेद्वर्णकारिणी // पर्ण चास्यास्तु कटुकं चाग्निदीप्तिकरं लघु / कृमीन् कर्फ च वातं च नाशयेदिति कीर्तितम् // कटुं चोष्णं पुष्पमस्यास्तिक्तं कृमिकफापहम् / प्लीहां गुल्मं च वातं च कुष्ठ शोथं च नाशयेत् // अरुचेर्नाशकं प्रोक्तं कण्डूं चैव विनाशयेत् / —नि० र० बनमेउड़ी-पथ्य, वर्णकारक तथा पित्तज्वर, विष और गृध्रसीवातनाशक है। बनमेउड़ी की पत्ती-कड़वी, अग्नि को दीप्त करनेवाली, हलकी तथा कृमि, कफ और वातनाशक है। बनमेउड़ी का फूल-कड़वा, उष्ण, तीता, 'कृमि, कफ, प्लीहा, गुल्म, वात, कुष्ठ, शोथ, अरुचि, और खुजली का नाश करती है /