________________ 179 मुसली विशेष विवरण-मुसली के दो भेद होते हैं / १–काली, और २-सफेद / सफेद मुसली की अपेक्षा काली मुसली अधिक गुणद है / मुमली का क्षुप ऐसा होता है ; जैसे-चार-पाँच पत्तों. वाला खजूर / इसमें बहुत छोटे-छोटे पीले रंग के फूल आते हैं / पड़ की जड़ में अंगुली के समान मोटी इसकी जड़ होती है / उस जड़ के ऊपर भूरे रंग की छाल होती है। किन्तु उस छाल के भीतर सफेद रंग होता है / इसके छोटे-छोटे पौधे बरसात में होते हैं। इसका कंद पाँच-छः अंगुल लम्बा होता है / दोनों की उत्पत्ति एक ही प्रकार की है। गुण-मुसली मधुरा वृष्या वीर्योष्णा बृहणी गुरुः / तिक्ता रसायनी हन्ति गुदजन्यानिलांस्तथा ॥–शा० नि० मुसली-मधुर, वृत्य, उष्णवीर्य, बृंहण, भारी, तीती, रसायन तथा बवासीर और वातनाशक है / गुण-कृष्णाधिकगुणा प्रोक्ता श्वेता चाल्पगुणामता / -शा० नि० काली मुसली-सफेद की अपेक्षा अधिक गुणदायक है तथा सफेद अल्प गुणवाली कही गई है। विशेष उपयोग (1) वीर्यवृद्धि के लिए-मुसली पीसकर आध सेर, दूध चार सेर; दोनों का खोआ बनाकर घी के साथ भूनकर तथा मिश्री, जायफर, इलायची, केसर और बादाम मिलाकर रख दिया जाय और शक्ति के अनुसार दोनों समय दो तोले तक दूध के साथ सेवन करना चाहिए