________________ वनस्पति-विज्ञान 178 गुण-शरपुंखा यकृत्प्लीहागुल्मव्रणविषापहा.। तिकः कषायः कासास्रश्वासज्वरहरो लघुः ॥-मा० प्र०... सरफोंका-तीता, कषैला, हलका तथा यकृत, प्लीह, गुल्म, व्रण, विष, कास, रक्तविकार और ज्वरनाशक है। गुण-कंठपुंखा कटूष्णा च कृमिशूलविनाशिनी ।-रा०नि० कंठपुंखा-कड़वा, गरम तथा कृमि और शूलनाशक है / विशेष उपयोग (1) यकृत में-सरफोंका की पत्ती, छाछ के साथ पीसकर देनी चाहिए। - (2) लीह पर-सरफोंका की पत्ती और अंजीर का काढ़ा पिलाना चाहिए। (3) जलोदर में-सरफोंका की पत्ती के रस में गोमूत्र मिलाकर पिलाना चाहिए। (4) कृमिरोग में-सरफोंका की पत्ती और वायविडंग पीसकर खाना चाहिए। (5) रक्तविकार में सरफोंका का अर्क शहद मिलाकर पीना चाहिए। मुसली - सं० ब० तालमूली, हि० म० गु० मुसली, क० नेलताडी, तै० नेलतारु, और लै० हाइपोक्सिस-Hypuxis.