________________ वनस्पति-विज्ञान 174 (3) विरेचन के लिए-निसोथ का चूर्ण गरम जल के साथ पीना चाहिए। (4) पित्त की अधिकता में विरेचन के लिए-निसोथ, मुनक्का के काढ़े के साथ लेना चाहिए / (5) भस्मक रोग में--निसोथ दूध के साथ पोएँ। (6) पित्तनगुल्म में-निसोथ और त्रिफला का काढ़ा पीना चाहिए। (7) पाण्डुरोग में--निसोथ और गदहपूर्णा की जड़ पीसकर पीना चाहिए। विदारीकन्द सं० विदारी, हि० विदारीकन्द, ब० भुईकुमड़ा, म० भूईकोहला, गु० फगवेलानो कन्द, क० नेलकुंबल, तै० नेलगुंबुडु और लै० आईपोमिया डिजिटेटा-Iprmoeadijitata. विशेष विवरण-विदारीकन्द एक प्रकार का कन्द है / यह अनूप देश के जंगलों में विशेष पाया जाता है। कुछ लोग इसे चर्मकासलुक भी कहते हैं। यह कन्द वाराह के समान होता है। इसमें रोएँ भी होते हैं। इसके पत्ते बड़े-बड़े घुइयाँ के समान होते हैं। नीचे बहुत बड़ा कन्द निकलता है /