________________ 173 निसोथ काला तीव्र होता है / इसकी जड़ और डंठल का प्रयोग औषध के लिए होता है। सफेद की मात्रा दो माशे से लेकर साढ़े चार माशे तक और काले की मात्रा एक मासा से तीन माशे तक तथा लाल की मात्रा तीन माशे से छः माशे तक की शास्त्रकारों ने कही है / गुण-श्वेतात्रिवरेचनी स्यात्स्वादुरुष्णा समीरहृत् / __रूक्षा पित्तज्वरश्लेष्मपित्तशोथोदरापहा ॥-भा० प्र० सफेद निसोथ–रेचक, स्वादिष्ट, उष्ण, वातनाशक, रूखा तथा पित्तज्वर, पित्त, शोथ और उदररोगनाशक है / गुण-श्यामात्रिवृत्ततो हीनगुणा तीव्र विरेचनी / मूर्छादाहमदभ्रान्तिकण्ठोत्कर्षणकारिणी ॥–शा० नि० काला निसोथ-सफेद की अपेक्षा हीन गुणवाला है; किन्तु विरेचन में उससे तीव्र है। यह मा , दाह, मद और भ्रान्ति को दूर करनेवाला तथा कंठ को उत्कर्ष देता है / गुण-अरुणा त्रिवृता स्वादुः कषाया मृदुरेचनी / ___ रूक्षा च कटुका चैव पाके तिक्ता कफापहा ॥-रा० व० लाल निसोथ-स्वादिष्ट, कषैला, मृदुरेचक, रूखा, कड़वा, पाक में तीता तथा कफनाशक है / विशेष उपयोग (1) सिर की नँ मारने के लिएसफेद निसोथ, कॉजी के साथ पीसकर लगाना चाहिए। ( 2 ) पथरी में-निसोथ, इन्द्रजौ का चूर्ण दूध के साथ लें।