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________________ 145 सनाय पानी में भिगोकर रात भर रहने देना चाहिए और प्रातःकाल उसे मलकर तथा छानकर उसमें शहद मिलाकर पीना चाहिए / (2) कान की खुजली में-सनाय का चूर्ण एक माशा गरम पानी के साथ देना चाहिए / (3) दाद पर-सनाय का बीज दही के साथ पीसकर लेप करना चाहिए। ___(4) पसोना के अधिक आने पर-सनाय का चूर्ण गाय के छाछ के साथ सेवन करना चाहिए / (5) शूल में-सनाय की जड़ पानी के साथ पीसकर पीनी चाहिए। (6) गर्भधारण के लिए-सनाय की पत्ती का चूर्ण, गोखुरू के पत्ते के रस में मिलाकर अथवा मिश्री में मिलाकर इक्कीस दिनों तक सेवन करना चाहिए। (7) पाण्डुरोग में-सनाय का दो माशे चूर्ण, पके आम के रस; अथवा पके केले में मिलाकर सेवन करना चाहिए / ___(8) सर्पदंश में-सनाय का चूर्ण छः माशे, बर्र के तेल के साथ पीने से वमन होकर विष नष्ट हो जाता है। (8) अतीसार में सनाय का चूर्ण मट्ठा के साथ सेवन करना चाहिए। (10) स्तनरोग में सनाय की जड़ पानी के साथ घिसकर पीनी चाहिए।
SR No.004288
Book TitleVanaspati Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHanumanprasad Sharma
PublisherMahashakti Sahitya Mandir
Publication Year1933
Total Pages306
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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