________________ वनस्पति-विज्ञान 138 मिनी दो तोले सबको पीसकर एक तोले की गोली बना ली जाय / दोनों समय जल के साथ एक-एक गोली खाई जाय / (4) आँख आने पर-हर और फिटकिरी पानी में घिसकर अंजन करना चाहिए। (5) पाण्डुरोग में-हर्र दो माशे, शहद चार माशे और घी आठ माशे, एक साथ मिलाकर सेवन करना चाहिए / अथवा हर्र को इक्कीस दिन तक गोमत्र में भिगोकर सुखाले और प्रतिदिन एक हर्र खाय। (6) मूर्छा में बालहरीतकी के काढ़े में घी मिलाकर पीना चाहिए। (7) उपदंश के घावों पर-त्रिफला को लोहे की कढ़ाई में भून तथा पीसकर एवं शहद के साथ मिलाकर लगाएँ। (8) प्रमेह में-त्रिफला और हल्दी का वर्ण मिश्री मिला कर सेवन करना चाहिए। ___(8) अण्डवृद्धि में बालहरीतकी गोमूत्र या एरंड तैल के साथ देनी चाहिए / अथवा त्रिफला, दूध के साथ देना चाहिए / (10) कास-श्वास पर-हर और बहेड़ा का चूर्ण, शहद के साथ देना चाहिए। (11) नेत्ररोग में-त्रिफला शाम के समय पानी में भिगो दिया जाय और प्रातःकाल छानकर उसीसे आँख धोई