________________ 135 . स्पर्श करने से, और कोई दृष्टिगोचर होने मात्र से विरेचक होती है। आयुर्वेद में हर्र से उपयोगी वस्तु संसार में दूसरी नहीं है। __माता यस्य गृहे नास्ति तस्य माता हरीतकी। जिसके घर में माता नहीं है, उसकी माता हर्र है। केवल इतने ही मात्र से नहीं, बल्कि हर वास्तव में बड़ी उपयोगी वस्तु है। यदि इसे सर्वगुण सम्पन्न कहा जाय, तो कोई अत्युक्ति न होगी। कुछ लोग मेरे इस कथन में सन्देह कर सकते हैं। किन्तु उन्हें सन्देह करने से पूर्व यह सोच लेना चाहिए कि जिस प्रकार अन्य वनस्पतियाँ गुणहीन हो गई हैं, उसी प्रकार यह भी हो गई है। जहाँ पर छः मास के पश्चात् हरै गुणहीन हो जाती है, वहाँ पर दो-दो, चार-चार वर्ष की पुरानी हर काम में लाई जाती है / अब यदि वह अपने कथित गुण को न कर सके तो इसमें हरै बेचारी का क्या दोष ? नाम-विजया रोहिणी चैव पूतना चामृताभया / जीवन्ती चेतकी चैति विज्ञेयाः सप्तजातयः // हरे-विजया, रोहिणी, पूतना, अमृता, अभया, जीवनी और चेतकी नाम से सात प्रकार की होती है / गुण-कषायाम्ला च मधुरा तिक्ता कटुरसान्विता / इति पंचरसा पथ्या लवणेन विवर्जिता ॥–शा० नि० .हरे--कषैली, खट्टी, मधुर, तिक्त और कटु; इस प्रकार पाँचों रसों से युक्त है / किन्तु लवण से विहीन है।