________________ . 130 वनस्पति-विज्ञान गुण-ब्राह्मी हिमा सरा तिक्ता लध्वी मेध्या च शीतला / काया मधुरा स्वादुपाकायुष्या रसायनी // स्वर्या स्मृतिप्रदा कुष्ठपाण्डुमेहास्नकासजित् / विषशोथज्वरहरी तद्वन्मंडूकपर्णिनी ॥–भा० प्र० ब्राह्मी--शीतल, सारक, तीती, हलकी, मेधाकारक, शीतल, कषैली, मधुर, पाक में स्वादिष्ट, आयुवर्द्धक, रसायन, स्वयं, स्मृतिदायक तथा कुष्ठ, पांडु, प्रमेह, रक्तविकार, कास, विष, शोथ और ज्वरनाशक है। मण्डूकपर्णी भी इसीके समान गुणवाली है। गुण-मण्डूकपर्णिका लध्वी स्वादुपाका सरा हिमा-शा० नि० मण्डूकपर्णी-हलकी, पाक में स्वादु, सारक और शीतल है / विशेष उपयोग (1) उन्माद-ब्राह्मी के रस में कुलिंजन का चूर्ण और शहद मिलाकर पीने से नष्ट होता है। (2) बहुमूत्र में ब्राह्मी का रस नौ छटॉक, आँवला का रस दो तोले, जीरा का चूर्ण एक तोला और मिश्री छः माशे एक पाव गाय के दूध में मिलाकर पीना चाहिए। (3) चेचक में ब्राह्मी का रस, शहद मिलाकर पीएँ। (4) स्मरणशक्ति के लिए-ब्राह्मी-घृत का सेवन करना चाहिए। (5) अपस्मार में ब्राह्मी और कालीमिर्च एक साथ पीसकर पीना चाहिए।