________________ वनस्पति-विज्ञान 126 गुण-दुग्धिकोष्णा गुरू रूक्षा वातला गर्भकारिणी। स्वादुक्षीरा कटुस्तिका सृष्टमूत्रमलापहा // स्वादुर्विष्टम्भिनी वृष्या कफकुष्ठकृमिप्रणुत् / -भा० प्र० दुधिया-उष्ण, भारी, रूखी, वातकारक, गर्भकारक, स्वादिष्ट, दुग्धयुक्त, कड़वी, तोती, मल-मूत्र को निकालने वाली, उदर को फुलानेवाली, वृष्य तथा कफ, कुष्ठ और कृमि नाशक है। . गुण-दुग्धफेनी कटुस्तिक्ता शिशिरा विषनाशिनी / व्रणायसारणी रुच्या युक्त्या चैव स्सायनी ॥-रा०नि० दुग्धफेनी-कड़वी, तीती, शीतल, विषनाशक, व्रणनिवारक, रुचिकारक एवं युक्ति से रसायन है / गुण-नागार्जुनी तु मधुरा वृष्या रूक्षा च ग्राहिणी / तिक्ता च वातला गर्भस्थापनी कटुका पटुः // धातुवृद्धिकरी हृद्या चोष्णा पारदबन्धिनी। मलस्तम्भकरी मेहकफकुष्ठकृमीन्हरेत् ॥–शा० नि० नागार्जुनी (तीसरी दुधिया )--मधुर, वृष्य, रूखी, माही, तीती, वातकारक, गर्भस्थापक, कटु, खारी, धातुवर्द्धक, हृद्य, उष्ण, पारद को बाँधनेवाली, मल को रोकने वाली तथा यह कफ, कुष्ठ और कृमिनाशक भी है। विशेष उपयोग (1) बालरोग पर दूध पीने वाले बालकों के पेट में चिकनाई से गाँठ जम जाती है, उसे निकालने के लिए दुधिया की जड़ गाय के ताजे दूध में घिसकर पिलानी चाहिए।