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________________ 125 दुधिया तीन प्रकार की होती है / १–नोकदार लाल पत्तों की, २-गोल पत्तों की और ३-मूंग के दाने के समान छोटे-छोटे पत्तोंवाली होती है / किन्तु तीनों में से दूध निकलता है / ___ नोकदार पत्तों वाली दुधिया का पेड़ एक हाथ ऊँचा होकर फिर लता के समान फैलता है। इसका पत्ता भंगरैया के पत्ते के समान होता है। किन्तु रंग में उससे कुछ फीका और नीले रंग का होता है / इसके डंठल कारंगकुछ लाली लिए होता है। भंगरैयाजैसा ही इसमें फूल भी लगता है। देहातों में घर के आस-पास यह पौधा उगता और फैलता है। इसी के दो भेद होते हैं / यही तो ऊपर वाली एक दुधिया है। इसका लोग शाक बनाकर खाते हैं / इसके पत्ते चने के पत्ते-जैसे छोटे-छोटे होते हैं / इसमें बहुत छोटा और लाल रंग का फूल निकलता है। यह दुधिया स्त्री रोग में विशेष उपयोगी है। ___ तीसरी का पौधा बहुत दिनों तक रहता है / यह टट्टी या पेड़ के ऊपर चढ़ती है। इसकी डाल काटकर जमीन में गाड़ देने से जड़ जमने लगती है और नया पौधा तैयार हो जाता है। इसकी लता प्रसिद्ध है / यदि इसका डंठल ऊँचा होकर दाहिनी ओर को घूम जाय, तो समझना चाहिए कि यह साल भर तक रहेगी / यदि कई ओर घूमकर चढ़ता है, तो कई वर्ष तक रहता है / इसके फल गुच्छेदार होते हैं। इसका आकार पोपट की तरह होता है / इसके फल में रेशम की तरह रेशे निकलते हैं।
SR No.004288
Book TitleVanaspati Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHanumanprasad Sharma
PublisherMahashakti Sahitya Mandir
Publication Year1933
Total Pages306
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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