________________ 101 गदहपूर्णा विशेष उपयोग (1) कामला रोग में-आकाशबौर के पंचांग का चूर्ण शहद और मिश्री मिलाकर चाटना चाहिए / अथवा इसका काढ़ा या रस निकालकर मिश्री मिलाकर पीना चाहिए / (2) शिरोरोग और ज्वर में-आका राबौर के पंचांग का चूर्ण घी और शहद की विषम मात्रा के साथ मिलाकर चाटें। (3) विच्छू के विष पर-आकाशबौर पीसकर लगाएँ। गदहपूर्णा सं० पुनर्नवा, हि० गदहपूर्णा, व० गादापुण्या, म० घेटुली, गु० साटोडी, क० विलीय दुवेल्ल डूकिलु, ता० मुकिराटे, तै. तेल्ला अटा तामामिड़ी, अ० हंद कूफी, अँ० स्फ्रेंडिंग होगबीड -Spreading Rogweed, और लै० बौरहाविया डिफ्युजा -Boerhavia Diffusa. : विशेष विवरण-यह सभी जगह प्रायः रेतीली जगहों में होता है / यह गदहपूर्ण-गुलावाँसी जाति का बतलाया जाता है / इसकी पत्तियाँ छोटी, गोल, मोटी और झुण्ड की-झुण्ड चौलाई की भाँति होती है / पत्ती के ऊपर घंटी के आकार का गुलाबी, सफेद, नीला अथवा हरे रंग का फूल लगता है / इसकी सफेद, लाल, नीली या काली तीन जातियाँ होती हैं। किन्तु काली जाति का बहुत कम मिलता है / किन्तु लाल रंग का सर्वत्र मिलता है / यह