________________ वनस्पति-विज्ञान (13) संखिया का विष—दो तोले सहिजन की छाल का रस आध सेर दूध के साथ मिलाकर पीना चाहिए / (14) प्लीहा में—सहिजन की छाल के काढ़े में छोटी पीपर या काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर पीना चाहिए। - (15) कमर की पीड़ा पर-सहिजन की छाल पीस और गरम करके बाँधना चाहिए। (16) सब प्रकार के वायु पर-जंगली सहिजन का रस पीना और छाल की पट्टी बाँधनी चाहिए / (17) आँख आने पर-सहिजन की पत्ती के रस में / शहद मिलाकर पीना चाहिए। (18) अन्तर्विद्रधि में-सहिजन के काढ़े में भूनी हुई हींग का चूर्ण मिलाकर पीना चाहिए / (16) लँगड़ेपन पर-सहिजन की पत्ती का रस लेप करें। (20) विषमज्वर में-काले सहिजन का चूर्ण जल के साथ सेवन करना चाहिए। (21) पथरी में-सहिजन की जड़ का काढ़ा पीएँ। (22 ) सिर-दर्द पर-सहिजन की पत्ती और काली मिर्च पीस कर लेप करना चाहिए। (23) फोड़ों पर-सहिजन की छाल पीसकर लेप करें। ( 24 ) कफजन्य सिर-दर्द पर-सहिजन का बीज पानी के साथ घिसकर नास लेना चाहिए।