________________ सहिजन और रीठा पीसकर रस निकालकर कालीजीरी का चूर्ण मिलाकर पीना चाहिए। (4) हिचकी में—सहिजन की छाल का काढ़ा पीएँ। (5) कानों का बहना—सहिजन के सूखे फूलों का चूर्ण छोड़ने से बन्द होता है। (6) मल-मूत्र की कमी-सहिजन के पत्तों के एक पाव रस में एक तोला सेंधा नमक मिलाकर पीने से दूर होती है। (7) गण्डमाला पर-सहिजन का दूध, सफेद गुलबाँस की जड़ और कालीमिर्च पानी में पीसकर लेप करना चाहिए। (8) नहरुया पर-सहिजन की छाल अथवा जड़ पीसकर लेप करना चाहिए। (8) वायु में-सहिजन की छाल का रस दो तोले, आदी का रस एक तोला, शहद छः माशे एक में मिलाकर सात दिनों तक सेवन करना चाहिए। (10) मुंह के छाले-सहिजन की पत्ती चबाकर रस चूसने से नष्ट होते हैं। (11) शीघ्र प्रसव के लिए-सहिजन की जड़ का रस और पानी एक में पकाकर पैर के तलुओं पर मलना चाहिए। (12) बालकों का पेट बढ़ जाने पर-जंगली सहिजन की छाल का रस और घी समभाग चम्मच भर तीन दिनों तक पिलाना चाहिए।