________________ तत्त्वार्थश्लोकवार्तिक- 232 साधयितुमात्मनः समर्थो यतोऽसिद्ध साधनं न स्यात् / स्याद्वादिनः सांख्यस्य च प्रसिद्धमेव चेतनत्वं साधनमिति चेनानवबोधाद्यात्मकत्वेन प्रतिवादिनचेतनत्वस्येष्टेस्तस्य हेतुत्वे विरुद्धसिद्धेविरुद्धो हेतुः स्यात् / साध्यसाधनविकलश दृष्टांतः सुषुप्तावस्थस्याप्यात्मनशेतनत्वमात्रेणानवबोधादिस्वभावत्वेन चाप्रसिद्धः / कथम् सुषुप्तस्यापि विज्ञानस्वभावत्वं विभाव्यते / प्रबुद्धस्य सुखप्राप्तिस्मृत्यादेः स्वप्नदर्शिवत्॥२३५॥ अर्थात् स्वयं 'आत्मा अज्ञानी है- चेतन होने से यह सिद्ध नहीं कर सकते। चेतनत्व हेतु आत्मा का अज्ञान और असुख स्वभाव सिद्ध नहीं कर सकता। सांख्य और स्याद्वादी दोनों के सिद्धान्त में चेतनत्व सिद्ध है, ऐसा कपिल का कहना भी उचित नहीं है। क्योंकि कपिल सिद्धान्त में आत्मा के ज्ञानसुखरहितात्मक चेतनत्व को इष्ट किया है। अर्थात् आत्मा को चेतन मानकर भी अज्ञ और असुख स्वभाव वाला माना है। . स्याद्वाद सिद्धान्त के अनुसार यदि आत्मा को चेतना सहित (ज्ञानी) स्वीकार किया जायेगा तो कपिलविरुद्ध ज्ञाता आत्मा को सिद्ध करने वाला चेतन हेतु विरुद्ध हेत्वाभास होता है। अर्थात् कपिल द्वारा आत्मा को ज्ञानरहित सिद्ध करने के लिए दिया गया चेतनत्व हेतु उसके विपरीत आत्मा को ज्ञाता सिद्ध करता है। अतः यह हेतु विरुद्ध है। आत्मा को अज्ञान स्वभाव सिद्ध करने के लिये दिया गया गाढ़ निद्रा में सुप्त मानव का दृष्टान्त भी साध्य साधन विकल है। क्योंकि सुप्तावस्था वाली आत्मा के भी चेतनत्व मात्र हेतु से अज्ञान स्वभाव और असुख स्वभाव की सिद्धि नहीं हो सकती। अर्थात् वास्तव में, सुप्त अवस्था में भी आत्मा ज्ञान सुख स्वभाव वाला है। शंका- आत्मा ज्ञान-सुख-स्वभाव वाला कैसे हो सकता है? उत्तर- सुप्त अवस्था में भी आत्मा के ज्ञान-स्वभावपना अनुभव में आ रहा है। क्योंकि जैसे गाढ़ निद्रा में सुप्त अवस्था में स्वप्न देखने वाले पुरुष के सुख और ज्ञान अनुभव में आ रहे हैं। वैसे ही गाढ़ निद्रा लेकर प्रबुद्ध (जागृत) हुए मानव को भी सुख की प्राप्ति और निद्रा में अनुभूत सुख का स्मरण आदि का अनुभव होता है। अतः सिद्ध होता है कि सुप्तावस्था में भी आत्मा के ज्ञान-सुख आदि विद्यमान हैं।॥२३५॥ 1. जिस दृष्टान्त में साध्य और साधन दोनों नहीं रहते हैं, उसे साध्यसाधन विकल दृष्टान्त कहते हैं। 2. जिस शयनकाल में संकल्प-विकल्प रूप स्वप्न आते हैं, वह स्वप्नावस्था है और जिसमें गाढ़ निद्रा है, स्वप्न नहीं आते हैं, उसको सुप्तावस्था कहते हैं।