________________ तत्त्वार्थश्लोकवार्तिक -70 सर्वसंबंधि तद्बोद्धं किंचिद्वोधैर्न शक्यते। सर्वबोद्धास्ति चेत्कश्चित्तद्बोद्धा किं निषिध्यते // 15 // सर्वसंबंधि तद्ज्ञातासिद्धं, किंचिझैआतुमशक्यत्वात् / न च सर्वज्ञस्तद्बोद्धास्ति तत्प्रतिषेध विरोधात् / षड्भिः प्रमाणैः सर्वज्ञो न वार्यत इति चायुक्तं / यस्मात् सर्वसंबंधिसर्वज्ञज्ञापकानुपलंभनम्। न चक्षुरादिभिर्वेद्यमत्यक्षत्वाददृष्टवत् // 16 // अथवा- थोड़े से ज्ञान वाले पुरुषों के द्वारा सर्वज्ञ सम्बन्धी (सर्वज्ञ है इस को) जानना शक्य नहीं है। यदि मीमांसक कहे कि सर्व जीवों को प्रत्यक्ष जानकर कोई सर्व बोद्धा जान लेता है कि सब के पास सर्वज्ञ का ज्ञापक प्रमाण नहीं है तो उस सर्व जीवों को प्रत्यक्ष करने वाले ज्ञाता (सर्वज्ञ) का आप निषेध कैसे कर सकते हैं क्योंकि सबको जानने वाला ही तो सर्वज्ञ होता है॥१५॥ सर्व जीव सम्बन्धी ज्ञापकानुपलंभन हेतु अज्ञात होकर असिद्ध हेत्वाभास है। अर्थात् सर्वज्ञ नहीं है, जानने योग्य हेतु का अभाव होने से यह ज्ञापकानुपलंभन सर्व के द्वारा जाना नहीं जा सकता हैअतः अज्ञात असिद्ध हेत्वाभास है। क्योंकि अल्पज्ञ संसारी जीवों के द्वारा सर्व जीवों के साथ सम्बन्ध रखने वाला ज्ञापकानुपलम्भन हेतु जाना नहीं जा सकता है। यदि मीमांसक मत में 'सब जीवों के प्रमाणों को प्रत्यक्ष करने वाला कोई ज्ञाता माना गया है' तो यह कथन ठीक नहीं है क्योंकि इस कथन से (सर्व जीवों को प्रत्यक्ष करने वाले ज्ञाता को मान लेने से) सर्वज्ञ की सिद्धि हो जाती है। सर्वज्ञ को मानकर फिर उसका निषेध करना विरोधयुक्त होगा। अर्थात् मीमांसक के वचन पूर्वापरविरोध सहित होंगे। यदि मीमांसक कहे कि “प्रत्यक्ष, अनुमान, आगम, अर्थापत्ति, उपमान और अभाव इन छह प्रमाणों से सर्वज्ञ का हम खण्डन नहीं करते हैं, परन्तु मुख्य प्रत्यक्ष के द्वारा सर्व पदार्थों को एक साथ जानने वाले सर्वज्ञ को हम नहीं मानते हैं" तो मीमांसक का इस प्रकार कहना भी युक्तिसंगत नहीं हैक्योंकि केवलज्ञान रूप प्रत्यक्ष ज्ञान के द्वारा सर्व पदार्थों को प्रत्यक्ष करने वाले सर्वज्ञ का नास्तिपन सिद्ध करने के लिए दिया गया ज्ञापकानुपलम्भन हेतु चक्षु आदि इन्द्रियों के द्वारा गम्य नहीं है, जाना नहीं जाता है। क्योंकि सर्वज्ञ हमारी इन्द्रियों का विषय नहीं है। जैसे पुण्य-पाप हमारी इन्द्रियों के विषय नहीं हैं। अतः मीमांसकों के ज्ञापकानुपलंभन हेतु प्रत्यक्ष प्रमाण से सिद्ध नहीं हैं // 16 //