SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 25
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आदिका आभारी हूँ। लेखन कार्य में सदासहयोग करने वाले ब्र.आदिनाथ जी को मैं इस क्षण भुला नहीं सकता। पं. राजकुमार शास्त्री, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, देवरी एवं देवरी निवासी सुधी श्रावकों का भी आभार मानता हूँ, जिन्होंने इस कार्य में उचित सहयोग प्रदान किया। इस कार्य के प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से सहयोगी मेरे अयजसुरेशचन्द्र, संघस्थ ब. लक्ष्मीचन्द्र, सुभाषचन्द्र, राजकुमार, महेन्द्रकुमारवप्रेमचन्द्र का भी बहुत आभार मानता हूँ। कार्य की पूर्णाहूति करने के समय मुझे सागर में प्रवास करना पड़ा। उस दौराना भाग्योदय तीर्थ केप्रबन्ध निर्देशकश्रीमान्डी. दरबारीलाल जैन का विशेष सहयोग प्राप्त हुआ। उठाके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करता हूँ। इस कार्य के पूर्ण होने में प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से सहयोगी होठो वाले उठा सभी महानुभावों के प्रति भी मैं हार्दिक आभार व्यक्त करना चाहता हूँ, जिनका नामोल्लेख मैं यहाँ नहीं कर सका हूँ। ___ मेरा यह शोध प्रबन्ध जैठा योग के सूक्ष्म अध्ययन एवं शोधकत्तभिओं और जैना योग की साधना में अभिरत विज्ञ सुधीजनों के लिए यत्किश्चित् लाभप्रद होगा ऐसी मेरी भावना है। - ब. राजेन्द्रकुमार जैन (xviii)
SR No.004283
Book TitleBhartiya Yog Parampara aur Gnanarnav
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajendra Jain
PublisherDigambar Jain Trishala Mahila Mandal
Publication Year2004
Total Pages286
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy