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________________ समाधिमरणेतर प्रकीर्णकों की विषयवस्तु : 63 पाँय भरत, पाँच ऐरावत, पाँच देवकुरु तथा पाँच उत्तरकुरु इन बीस क्षेत्रों में प्रथम आरा होता है / यहाँ मनुष्यों की इच्छापूर्ती दस प्रकार के कल्पवृक्ष करते हैं / यहां उत्पन्न होने वाले मनुष्यों की जघन्य आयु तीन पल्योपम तथा उत्कृष्ट आयु चार कोटि सागर की होती है / शरीर की ऊँचाई तीन कोस की होती है / इसके पश्चात् ग्रन्थ में द्वितीय आरे से षष्ठम् आरे पर्यन्त वर्णन निरूपित है जिसमें प्रत्येक आरे के मनुष्यों की आयु, शरीर की शक्ति, ऊँचाई, बुद्धि, शौर्य आदि का क्रमशः ह्रास होता हुआ बतलाया गया है / " ग्रन्थ में चौबीस तीर्थंकरों तथा बलदेव, वासुदेव आदि के पूर्वभवों के नाम, उनके माता-पिता, आचार्य, नगरी आदि का विस्तारपूर्वक विवेचन हुआ है / ग्रन्थानुसार जिस रात्रि में तीर्थंकर महावीर निर्वाण को प्राप्त हुए उसी रात्रि में पालक राजा का राज्याभिषेक हुआ। इस प्रसंग को लेकर पालक, मरुक, पुष्पमित्र, बलमित्र, भानुमित्र, नमसेन, गर्दभ आदि राजाओं के राज्यकाल का तथा दुष्टबुद्धि (कल्कि) नामक राजा के जन्म एवं उसके राज्यकाल का वर्णन किया गया है / श्वेताम्बर परम्परा में यही एक मात्र ऐसा ग्रन्थ है जिसमें आगम ज्ञान के क्रमिक उच्छेद की बात कही गई है / प्रस्तुत ग्रन्थ में तीर्थंकर महावीर से लेकर भद्रबाहु स्वामी तथा स्थूलभद्र नामक आचार्य की पट्ट-परम्परा का भी उल्लेख है। इसके पश्चात् ग्रन्थ पर्यन्त आगामी उत्सर्पिणी-अवसर्पिणी काल के बारह आरों, विविध धर्मोपदेशों तथा विस्तारपूर्वक सिद्ध का स्वरूप निरूपित किया गया है / सन्दर्भ-सूची (1) देवेन्द्रस्तव 1. देविदत्थओ-पइण्णयसुत्ताई, भाग 1, पृ० 3-34 2. (क) नन्दीसूत्र : सम्पा० मुनि मधुकर, प्रका० आगम प्रकाशन समिति, ब्यावर, पृ० 161-162 (ख) पाक्षिकसूत्र वृत्तिः सम्पा० जिनविजय, प्रका० देवचन्द्र लालभाई पुस्तकोद्धार फण्ड, पृ०७३ / / 3. देविंदत्थओ, पइण्णयसुत्ताई, पृ० 3 गाथा 1-6; 4. वही, गाथा 7-14; 5. वही, गाथा 15-20 - 6. वही, गाथा 21-66; 7. वही गाथा 67-80 8. वही, गाथा 81-93; 9. वही, गाथा 94-96 10. वही, गाथा 97-129; 11. वही, गाथा 130 -141 12. वही, गाथा 142-146; 13. वही, गाथा 147-161
SR No.004282
Book TitlePrakirnak Sahitya Manan aur Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain, Suresh Sisodiya
PublisherAgam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan
Publication Year1995
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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