________________ 222 : प्रो० सागरमल जैन 15. 21. (अ) पालि साहित्य का इतिहास (भरतसिंह उपाध्याय), पृ० 102-104 (ब) It is ......... the oldest of the poetic books of the Buddhist Scriptures. - The Suttaanipata (Sister Vayira ) Introduction, P. 2 16. उभो नारद पबता। . -सुत्तनिपात 32, सभियसुत्त 34 17. असितो इसि अद्दस दिवाविहारे / . -सुत्तनिपात 37, नालकसुत्त 1 18. सुत्तनिपात 71, पिगियमाणवपुच्छा 19. सुत्तनिपात 32, सभियसुत्त / 20. वही, सभियसुत्त / वही, सभियसुत्त / 22. थेरगाथा 36;Dictionary of Pali Proper names, Vol.I, p. 631& Vol. II, P.15 (अ) इसिभासियाई, 26/8-15 (ब) वही,३२/१-४ 24. . सुत्तनिपात, कसिभारद्वाजसुत्त 25. अहं च भोयरायस्स तं च सि अगन्धगवण्हिणो / मा कुले गन्धणा होमो संजमं निहुओ चर / / -उत्तराध्ययन, 22/44 26. पक्खंदे जलियं जोइं, धूमकेउं दुरासयं / नेच्छंति वंतयं भोत्तुं, कुले जाया अगंधणे / / -दशवैकालिक, 2/6 27. अगन्धणे कुले जातो जधा णागो महाविसो / मुंचित्ता सविसं भूतो पियन्तो जाती लाघवं / / -इसिभासियाई, 45/40 28. See-Introduction of Isibhasiyaim by Walther Schubring: L.D.Institute of Indology, Ahmedabad, 1974. ऋषिमण्डल प्रकरणम्, आत्मवल्लभ ग्रन्थमाला, बालापुर, ग्रन्थांक 31, गाथा 29. 43 30. ISIBHASIYAIM, L.D. Institute of Indology, Introduction page 3-7.