________________ सन्दर्भ 1. मालवणिया, दलसुख (पं.) जैन साहित्य का बहद् इतिहास, भाग-1, प्रस्तावना, प.-30 2. जैन, प्रेम सुमन (डॉ.) 'जैन धर्म और जीवन मूल्य' 3. देवेन्द्र मुनि (आचार्य), ऋषभदेव एक परिशीलन, प. 123 4. जिनसेन (आचार्य), महापुराण 3/204 दिगम्बर परम्परा के अनुसार सोलह स्वप्न। 'अभिसेयदाम' कल्पसूत्र - 5 __सामायिक सूत्र में नमोत्थुणं का पाठ एवं भक्तामर स्तोत्र श्लोक 26 व 31 8. कल्पसूत्र (सूत्र 103) 9. आवश्यक हरिभद्रीया वत्ति, आवश्यक मलयगिरी वत्ति, त्रिषष्टि. 1/1/36 : 10. जैन, प्रेम सुमन (डॉ.) 'जैन धर्म और जीवन मूल्य' . 11. जैन, जगदीशचन्द्र (डॉ.) प्राकृत साहित्य का इतिहास, भूमिका प.-4 12. जैन, नेमीचन्द (डॉ.) 'भगवान ऋषभनाथ' पष्ठ-7 13. ओझा, गौरी शंकर (डॉ.) भारतीय लिपि माला, पृ.-2 . 14. राजप्रश्नीय सूत्र 131, निशीथ भाष्य 12/400, हरीभद्रीय आवश्यक टीका, प.-284 15. असिमषिः कृषिर्विद्या वाणिज्यं च शिल्पमेव च। कर्माणीमानि गोढा स्युः प्रजाजीवन हेतवः। - आदिपुराण 16/179, एवं 39/143 16. आदिपुराण 16/119 17. जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति 1/5 18. प्रश्नव्याकरण 5/4 19. ज्ञाताधर्मकथांग 1/11 20. नन्दीसूत्र, गाथा 74 (40)