________________ सूत्रकृतांग' में कहा गया - जो अपने पर अनुशासन नहीं रख सकता, वह औरों पर अनुशासन कैसे कर सकता है ? शासन और प्रशासन के संचालन में अहिंसा और संयम पर आधारित नियमों से एक विश्वस्त व्यवस्था की स्थापना सम्भव है। संयम जीवन में मर्यादाओं की रेखाएँ खींचता है। संयम के प्रकार आगम ग्रन्थों में संयम के अनेक प्रकार बताये गये हैं। स्थानांग सूत्र में उसके चार प्रकार बताये गये हैं - मन, वचन, शरीर और उपकरणों का संयम।' आवश्यक सूत्र में संयम के सत्रह भेद बताये गये हैं। इन भेदों में उपरोक्त चार के अतिरिक्त - पाँच प्रकार के स्थावर कायिक जीवों का संयम, चार प्रकार के त्रस जीवों का संयम, प्रेक्षा संयम, उपेक्षा संयम, प्रमार्जन संयम और परिठावणिया संयम हैं। सत्रह प्रकार का संयम दूसरी तरह से भी गिना जाता है, जिसमें पाँच आश्रवों का त्याग, पाँच इन्द्रियों का दमन, चार कषायों का त्याग और त्रियोगों को वश में करना सम्मिलित है। संयम के अधिकांश भेदों का अन्यत्र विमर्श हुआ है। कुछ बिन्दु यहाँ विमर्शनीय है। - अजीव काय संयम : जीव-संयम से अहिंसा की प्रत्यक्ष आराधना जुड़ी है। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि भगवान महावीर की अहिंसा अनन्त आयामी है। उन्होंने निर्जीव वस्तुओं के संयम की बात कह कर, सचमुच, अहिंसा को गहराइयाँ प्रदान की। जो वस्तुएँ, उपकरण आदि हमारे आसपास, इर्द-गिर्द हैं, उनकी उपस्थिति और अवस्थिति किसी व्यवस्था के क्रम में हैं। उनकी स्वाभाविक अवस्थिति भंग करना अथवा इन चीजों का किसी तरह दुरुपयोग करना हिंसा है। - हमारे काम में आने वाली वस्तुओं के निर्माण में स्थावर-कायिक जीवों की अनिवार्य हिंसा प्रत्यक्ष रूप से जुड़ी होती है और अप्रत्यक्ष रूप से त्रस जीवों की हिंसा भी जुड़ी होती है। वस्तुओं के दुरुपयोग का अर्थ है सकल राष्ट्रीय उत्पाद की इकाई का दुरुपयोग तथा दुरुपयोग के फलस्वरूप ऐसी वस्तु के पुनर्निर्माण पर प्रकृति का अधिक दोहन। उपभोक्ता के व्यवहार का आर्थिक गतिविधियों के अनेक घटकों पर तथा पर्यावरण पर प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है। असंयम प्रदूषण का कारण बनता * है। प्रदूषण पदार्थ के प्राकृतिक संघटक को क्षतिग्रस्त या नष्ट करता है। यह खाद्यश्रृंखला, कार्बन, नाइट्रोजन, ऑक्सीजन और हाइड्रोजन (सी.एन.ओ.एच.) के (295)