________________ 19. न्यायदर्शन (सूत्र 4/1) व कुछ अन्य दर्शनों में कर्मफल का नियन्ता ईश्वर को बताया गया है। 20. जैन, सुदर्शनलाल (डॉ.) उत्तराध्ययन सूत्र : एक परिशीलन पष्ठ-153 21. जैन, राजाराम (डॉ.) पाइयगजसंगहो (वीयोभाओ), उज्जमस्स फलं नच्चा विउसदुगनायगे। जावज्जीवं न छुड्डेजा उज्जम फलदायगं। डॉ प्रेमसुमन की पुस्तक 'जैन धर्म और जीवन मूल्य' के पृ.-76 पर उद्धृत। 22. मालवणिया, दलसुख (पं.), आत्म-मीमांसा प.-128 23. समवायांग 5 समवाय, तत्वार्थ सूत्र 8/1 24. जो पुण जतनारहियो, गुणो वि दोसायते तस्स - बृहत्कल्पभाष्य 3181 25. उत्तराध्ययन सूत्र 33/2-3, आत्मसिद्धि - श्रीमद्राजचन्द्र श्लोक 102 26. णाणस्स सव्वस्स पगासणाए - उत्तराध्ययन सूत्र 32/2 27. इह भविए वि नाणे, परभविए वि नाणे, तदुभयभविए वि नाणे। - भगवती सूत्र 1/1 .. 28. उत्तराध्ययन सूत्र 33/5-6, तत्वार्थ सूत्र 8/8 29. जे ममाइअ मई जहाइ, से जइ इ ममाइअं। - आचारांग सूत्र 2/6 30.. . ठाणांग 2/4/105 महाप्रज्ञ (आचार्य), कर्मवाद - आदर्श साहित्य संघ . प्रकाशन, चूरू पृ.-96 (263)