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________________ अन्य व्यय लम्बा चौड़ा राज्य और उसमें विभिन्न प्रकार की प्रजा निवास करती थी। राज्य के आकस्मिक व्यय भी बहुत होते थे। विलासी राजाओं के बारे में भी सूचनाएँ मिलती हैं। उनके अन्तःपुर पर भी आश्चर्यजनक व्यय होता था। राजप्रश्नीय सूत्र के अनुसार कैकयार्द्ध नरेश प्रदेशी राज्य की आय का एक चौथाई अन्त:पुर पर व्यय करता था। जैन धर्म का पालन करने वाले राजा विलासी और सुविधा भोगी नहीं होते थे। इसलिए उनके अन्तःपुर पर अनावश्यक व्यय नहीं होता था। अनेक राजा उनके पुत्रों को राज्य सौंप कर मुनि जीवन अंगीकार कर लेते थे। .. . राज्य-संचालन में अर्थ की केन्द्रीय भूमिका होती है। राज्य की उन्नतिअवनति उसके आर्थिक प्रबन्धन पर टिकी हुई होती है। इस प्रकार हम देखते हैं कि शासन, प्रशासन और सैन्य व्यवस्था के साथ-साथ राज्य लोक-कल्याणकारी कार्यों में भी गहरी रुचि लेता था। कोई भी राजा अपने शासन काल में अच्छे और स्थायी महत्व के कार्यों से ही यशस्वी हो सकता था और राजाओं का यह प्रयास रहता था। राजाओं के द्वारा किये गये कालजयी कार्य आज इतिहास बन गये हैं। (86)
SR No.004281
Book TitleJain Agamo ka Arthashastriya Mulyankan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDilip Dhing
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2007
Total Pages408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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