________________ 10 प्राकृत पाठ-चयनिका 8. तवेण ब्रम्म-यिर्येण, सत्रमेण दमेण च / एदेण ब्रम्मणो भोदि, एद ब्रम्मत्र उतमु // 8 // 9. छिन सोदु प्रकमु, कम प्रणुयु ब्रमण / - न अप्रहइ मुणि कम, एकत्वु अधिकछदि // 9 // 10. छिन सोदु परकमु, कम प्रणुयु ब्रमण / सघरण क्षयञ्त्व, अकदञो सि ब्रम्मण // 10 // 11. न ब्रम्मणस प्रहरेअ, नस मजेअ ब्रमणि / धि ब्रमणस हृदर, तद वि धि यो ण मुजदि // 11 // 12. मदर पिदर जत्व. रयण द्वयु शोत्रिअ (सणु) / रठ सणयर जत्व, अणिहो यदि ब्रम्मणो // 12 // 13. रयण प्रधमु जत्व, परिष ज अणदर / दोषि स-सेञक जत्व, अणिहो यदि ब्रम्मणो // 13 // 14. यद एषु धर्मेषु, परको भोदि ब्रम्मणो। अथस सर्वि सञोक, अस्त-गछदि जणद.॥१४॥ 15. न ब्रमण सेदिण किजि भोदि, यो न निसेधे मणस प्रि अणि / यदो यदो यस मणो निवर्तदि तदो तदो समुदि अहसच // 15 // 16. ब्रहेत्व पवणि ब्रम्मणो, समइरिय श्रमणो दि वुचदि / पर्वहि अ अत्वणो मल, तस पर्वइदो दि वुचदि // 16 // 17. न अहो ब्रम्मण ब्रोमि, योणेक-मत्र-सभमु / भो-वइ नमु सो भोदि, सयि भोदि सकिजणो / अकिजण अणदण, तं अहो ब्रोमि ब्रम्मण // 17 // 18. निहई दण भुदेषु, सेषु थवरेषु च / यो न हदि न धधेदि, तं अहो ब्रोमि ब्रमण // 18 // 19. यो दु द्रिध चि रस जि, अणो-थुलु शुहाशु हु / लोकि अदिण न अदि अदि, तं अहो ब्रोम्मि ब्रमण / / 19 / /