________________ प्राकृत धम्मपद ब्रम्मण वग्ग 1. न जडइ न गोत्रेण, न यच भोदि ब्रमणो / यो दु बहेत्व पवण, अणु-थुलणि सर्वशो // बहिदरे व पवण, ब्रमणो दि प्रवुचदि // 1 // 2. कि दि जडइ दुमेध, कि दि अयिण शडिअ / अदर गहण कित्व, बहिरे परिमजसि // 2 // 3. यस धर्मो विअणेअ, समे-सबुध-देशिद / सखच ण नमसे अ, अगि होत्र व ब्रह्मणो // 3 // 4. न यच ब्रह्मणो भोदि न त्रेविज न शोत्रि अ / - न अगि-परिकिर्यइ, उदके ओरुहणेण व // 4 // 5. पुर्वे निवस यो उवेदि, स्वग अवय य पशदि / ' अथ जदि-क्षय प्रतो, अभिञ-वोसिदो मुणि // 5 // 6. एदहि त्रिहि विजहि, त्रेविजु भोदि ब्रम्मणु / विजचरण-सवर्णो, ब्रम्मणो दि प्रवुचदि // 6 // 7. त्रिहि विजहि सवर्णो, शदु क्षिण-पुनर्भवु / असिदो सर्व-लोकस्य, ब्रम्मणो दि प्रवुचिदि // 7 //