________________ कुमारपालचरितम् अष्टमः सर्गः कधिदे शुभोवदेशे शलश्शदीए तदो अपस्खलिदे / भव-कस्ट-गिम्ह-पदहण-विघस्टणे शुस्टु-मेघे व // 1 // 2. अदिशुस्तिदं निविस्टे चदुस्त-वग्गं विवय्यिद-कशाए / शावय्य-योग-लहिदे शाहू शाहदि अणज-मणे // 2 // 3. पुजे निशाद-पर्छ सुपञले यदि-पधेण वजन्ते / शयल-यय-वश्चलत्तं गश्चन्ते लहदि पलम-पदं // 3 // 4. श-पल-विव का-लहिदे पेस्कन्ते सव्वमोल्ल-दिस्टीए / मिद-पियमाचस्कन्ते चिष्ठदि मग्गम्मि मो कस्स // 4 // 5. एदस्स वधं कलिमो भत्तिं एदाह इदि मदी जाहँ / ताणं दोण्हं पि हगे हिदे त्ति बुद्धी पउद्दव्वा // 5 // 6. पान राचिञा गुन-निधिना रा अनञ-पुञ्जेन / चिन्तेतव्वं मतनाति-वेरिनो किल विजेतव्वा // 6 // 7. सुद्धाकसाय-हितपक-जित-करन-कुतुम्ब-चेसटो योगी / मुक्क-कुटुम्ब-सिनेहो न वलति गन्तून मुक्ख-पतं // 7 //