________________ 31 कुमारपालचरितम् 19. तस्स विसट्टउ हिअयं सयहुत्तं दलउ बुद्धि-कोसल्लं / जो लिहइ वलिअ-भत्तं व वम्फि-लालं रमणि-अहरं // 19 / / 20. अणफुडिअ-इन्दवारण-रम्मा रामा अफिट्ट-कडुअत्ता। रे हिअय फुट्ट चुक्कसि किं मग्गा ताहि भुल्लविअं // 20 // 21. अब्भंसि-दूसिअच्छं अफिडिअ-कहमाणणं महेलाण / रच्चइ तत्थ वि मूढो नसिअ-मई णिवहिअ-विवेओ // 21 // 22. सेहइ सीलं पडिसन्ति धी-गुणा संजमो वि अवहरइ / .. णिरणासइ सुअमवसेहइ सच्चं जुवइ-सत्ताण // 22 // 23. ओवासइ न विवेओ थी-सङ्गे इअ गुरूहि संदिसि / अप्पाहामो ता तत्त-पिच्छिरो ताउ को निअइ // 23 // 24. जे भावि-पुलअणा भूअ-देक्खणा वट्टमाण-सच्चवणा / तेहि निअच्छि अ भणिअंमा इत्थीओ पुलोएह // 24 // 25. अवयच्छन्तो वि जणो नोअक्खड़ कामिणिं अवक्खन्तो / न गुरुं चज्जइ नन्नं पासइ जं तीइ पासत्थो // 25 // 26. असरीरिणमवअक्खइ अवआसइ सील-जाइ-रहिअंपि / अवयज्झिऊण तं पि हु जो इत्थि छिवह तस्स नमो // 26 // 27. फासिज्जइ कविकच्छू फंसिज्जइ अहव कुविअ-वग्घी वि / फरिसिज्जइ न उणेत्थी धम्म-सरीरं हणइ छिहिआ // 27 // 28. आलिहइ नरमणालुङ्खणिज्जमवि नीअ-रच्चणी नारी।। मूढाण रिअइ सा वि हु हिअए पविसन्त-कामम्मि / / 28 / / 29. नारीउ हिअय पम्हस मा ताओ पम्हसन्ति पर-लोअं / रोञ्चन्ति धम्म-बीजं न य रोहइ चड्डिअं तं च / / 29 / /