________________ कुमारपालचरितम् सप्तमः सर्गः 1. ओहाविअ-सयल-बलो उत्थारिअ-अन्तरङ्ग-रिउ-वग्गो / थुन्दिअ-करणो राया निहन्ते चिन्तमिअ काही // 1 // 2. अक्कमिआ विसएहिं टिरिटिल्लन्ता पुरन्धि-सेवाए / ही दुण्ढुल्लन्ति भवे चक्कम्मविआ कुकम्मेहिं // 2 // 3. काम-गह-भमडिएहिं भमाडिओ भम्मडेइ को न भवे / गय-काम-झण्टणो पुण तलअण्टइ सिद्ध-भूमीसु // 3 // 4. ढण्ढल्लिअ-भुमयं भुमिअ-धणू जग-झम्पणो गुमिअ-आणो / ____जं न फुमावइ मयणो अफुसिअ-बुद्धी खु सो धन्नो // 4 // 5. दुमड़ पुरे दुसइ वणे परइ थलीसुं परीइ जल-मज्झे। अभमिअ-चित्तो इत्थीहि णीइ धन्नो पसम-रज्जं // 5 // 6. सो च्चिअ सोक्खमइच्छइ पसमं उक्कसइ अक्कसइ सग्गं / मोक्खं पि हु अणुवज्जइ अईइ न हु जो जुवइ-सङ्गं // 6 // 7. तारुण्णे णिम्महिए अवज्जसन्तेसु हाणिमक्खेसु / ही पच्चड्डुइ वुडो वि न पसमं काम-पच्छन्दी // 7 //