________________ पउमचरियं रक्खस-वाणरपव्वज्जाविहाणाहियारो वानरवंशः 1. एसो ते परिकहिओ, रक्खसवंसो मए समासेणं / एत्तो सुणाहि नरवइ! वाणरवंसस्स उप्पत्ती // 1 // 2. वेयड्डनगवरिन्दे, मेहपुरं दक्खिणाएँ सेढीए / विज्जाहरसामन्तो, अहइन्दो अस्थि विक्खाओ // 2 // 3. भज्जा य सिरिमई से, सिरिकण्ठो तीऍ गब्भसंभूओ। पुत्तो महागुणधरो, देवकुमारोवमसिरीओ // 3 // 4. देवि त्ति नाम कन्ना, सिरिकण्ठसहोयरा विसालच्छी। सयलम्मि जीवलोए, रूवपडागा महिलियाणं // 4 // 5. अह रयणपुराहिवई, वीरो पुप्फुत्तरो महाराया।' तस्स गुणेहि सरिच्छो, पुत्तो पउमुत्तरो नाम // 5 // 6. सिरिकण्ठनिययबहिणी, मग्गइ पुप्फत्तरो सुयनिमित्तं / न य तेण तस्स दिन्ना, दिन्ना सा कित्तिधवलस्स // 6 //