________________ 12 प्राकृत पाठ-चयनिका 8. णाओ संगामसीसे वा पारए तत्थ से महावीरे / एवं पि तत्थ लाढेहिं अलद्धपुव्वो वि एगदा गामो // 8 // 9. उवसंकमंतमपडिण्णं गामंतियं पि अपत्तं / पडिणिक्खमित्तु लूसिंसु एत्तातो परं पलेहि त्ति // 9 // 10. हतपुव्वो तत्थ डंडेणं अदुवा मुट्ठिणा अदु फलेणं / अदु लेलुणा कवालेणं हंता हंता बहवे कंदिसु // 10 // 11. मंसूणि छिण्णपुव्वाइं उट्ठभियाए एगदा कायं / परिस्सहाइं लुंचिंसु अदुवा पंसुणा अवकरिंसु // 11 // 12. उच्चालइय णिहणिंसु अदुवा आसणावो खलइंसु / वोसट्टकाए पणतासी दुक्खसहे भगवं अपडिण्णे // 12 // 13. सूरो संगामसीसे वा संवुड्डे तत्थ से महावीरे / पडिसेवमाणो फरुसाइं अचले भगवं रीयित्था / / 13 / / 14. एस विही अणुक्कंतो माहणेण मतीमता / बहुसो अपडिण्णेणं भगवया एवं रीयति // 14 // त्ति बेमि। 15. ओमोदरियं चाएति अपुढे वि भगवं रोगेहिं / पुढे व से अपुढे वा णो से सातिज्जती तेइच्छं / / 15 / / 16. संसोहणं च वमणं च गायब्भंगणं सिणाणं च / संबाहणं न से कप्पे दंतपक्खालणं परिणाए // 16 // ण च / 17. विरते य गामधम्मेहिं रीयति माहणे अबहुवादी। सिसिरंसि एगदा भगवं छायाए झाति आसी य // 17 // 18. आयावइ य गिम्हाणं अच्छति उक्डए अभितावे / अदु जावइत्थ लूहेणं ओयण-मथु-कुम्मासेणं // 18 //