________________ -333333333333333333333333333333333333333333333 aca caca ca cace श्रीआवश्यक नियुक्ति (व्याख्या-अनुवाद सहित) 9000 9000(हरिभद्रीय वृत्तिः) प्रथमगाथाव्याख्या-आह-औदारिकादिशरीरप्रायोग्यद्रव्यवर्गणाः किमर्थ प्ररुप्यन्ते / & इति? उच्यते, विनेयानामव्यामोहार्थम् / तथा चोदाहरणमत्र-इह भरतक्षेत्रे मगधजनपदे , & प्रभूतगोमण्डलस्वामी कुचिकर्णो (कुविकर्णो) नाम धनपतिरभूत्। स च तासां गवामतिबाहुल्यात् सहस्रादिसंख्यामितानां पृथक् पृथगनुपालनार्थ प्रभूतान् गोपांश्चक्रेतेऽपि च परस्परसंमिलितासु 6 तासु गोष्वात्मीयाः सम्यगजानानाः सन्तोऽकलहयन्।तांश्च परस्परतो विवदमानानुपलभ्य ca असौ तेषामव्यामोहार्थम् अधिकरणव्यवछित्तये च रक्तशुक्लकृष्णकर्बुरादिभेदभिन्नानां गवां // & प्रतिगोपं विभिन्ना वर्गणाः खल्ववस्थापितवान् -इत्येष दृष्टान्तः। अयमर्थोपनयः- इह " गोपपतिकल्पस्तीर्थकृत् गोपकल्पेभ्यः शिष्येभ्यो गोरूपसदृशं पुद्गलास्तिकायं , परमाण्वादिवर्गणाविभागेन निरूपितवानिति अलं प्रसङ्गेन। (वृत्ति-हिन्दी-) प्रथम गाथा की व्याख्या- (शंका-) इस प्रकार है कि औदारिक & आदि शरीरों के योग्य द्रव्य वर्गणाओं की प्ररूपणा क्यों की गई है? समाधान यह हैशिष्यजनों को भ्रम न हो -इस के लिए (वर्गणाओं का निरूपण किया गया है)। इस सम्बन्ध में एक उदाहरण (दृष्टान्त) भी इस प्रकार है- इस भरत क्षेत्र के मगध नामक , जनपद में प्रचुर गो-मण्डलों (गोओं के झुण्डों) का स्वामी धनाढ्य व्यक्ति था, जिसका नाम है ca कुचिकर्ण (या कुविकर्ण) था। गोओं की अत्यधिक संख्या को देखते हुए, हजारों की संख्या - & वाली उन गोओं की पृथक्-पृथक् रक्षा हेतु उस धनपति ने अनेक ग्वालों को तैनात किया, 7 किन्तु वे भी, जब वे गाएं परस्पर मिल जाती थीं, तो अपनी गायों को ठीक से पहचान न पाने , & के कारण आपस में झगड़ते थे। उन्हें परस्पर बहस (व झगड़ा) करते हुए देख कर उन , 6 (ग्वालों) को कभी कोई भ्रम नहीं हो और उनमें झगड़ा भी न हो -इसके लिए उस (धनपति) ने गायों को लाल, सफेद, काली, चितकबरी आदि भेदों में बांटकर प्रत्येक ग्वाले है के जिम्मे गोओं की पृथक्-पृथक् वर्गणाएं (झुण्ड) नियत कर दी -यह दृष्टान्त है। इस ca दृष्टान्त का अर्थ-उपनय (उसकी संगति) इस प्रकार है- यहां ग्वालों के स्वामी के समान " & तीर्थंकर हैं, जिन्होंने ग्वाले जैसे शिष्यों के लिए गोओं के जैसे विविध रूपों वाले पुद्गलास्तिकाय . को परमाणु आदि विविध वर्गणाओं में विभक्त कर उसका निरूपण किया। अब और कुछ * अधिक कहने की जरूरत नहीं। -777777777777777777777777 204 (r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)8808880888888