________________ Recenecece 000000000 22333822222233232322322233233333333333333333 नियुक्ति-गाथा-13-15 अद्धा-पल्योपम- अद्धा देशी शब्द है, जिसका अर्थ काल या समय है। आगम के प्रस्तुत प्रसंग में जो पल्योपम का जिक्र आया है, उसका आशय इसी पल्योपम से है। इसकी गणना का क्रम / 4 इस प्रकार है- यौगलिक के बालों के टुकड़ों से भरे हुए कुंए में से सौ-सौ वर्ष में एक-एक टुकड़ा , व निकाला जाय / इस प्रकार निकालते-निकालते जितने काल में वह कुंआ बिल्कुल खाली हो जाय, उस , कालावधि को अद्धा-पल्योपम कहा जाता है। इसका परिमाण संख्यात वर्ष कोटि है। . अद्धा-पल्योपम भी दो प्रकार का होता है- सूक्ष्म और व्यावहारिक। यहां जो वर्णन किया / आ गया है, वह व्यावहारिक अद्धा-पल्योपम का है। जिस प्रकार सूक्ष्म उद्धार-पल्योपम में यौगलिक & शिशु के बालों के टुकड़ों के असंख्यात अदृश्य खंड किए जाने की बात है, तत्सदृश यहां भी वैसे ही असंख्यात अदृश्य केश-खण्डों से वह कुआं भरा जाय। प्रति सौ वर्ष में एक खंड निकाला जाय। यों निकालते-निकालते जब कुंआ पूर्णतः खाली हो जाय, वैसा होने में जितना काल लगे, वह सूक्ष्म & अद्धा-पल्योपम कोटि में आता है। इसका काल-परिमाण असंख्यात वर्ष कोटि माना गया है। " व क्षेत्र-पल्योपम-ऊपर जिस कूप या धान के विशाल कोठे की चर्चा है, यौगलिक के बाल . खंडों से उपर्युक्त रूप में दबा-दबा कर भर दिये जाने पर भी उन खंडों के बीच में आकाश प्रदेश-रिक्त . स्थान रह जाते हैं। वे खंड चाहे कितने ही छोटे हों, आखिर वे रूपी या मूर्त हैं, आकश अरूपी या , a अमूर्त है। स्थूल रूप में उन खंडों के बीच रहे आकाश-प्रदेशों की कल्पना नहीं की जा सकती, पर 7 सूक्ष्मता के एक बहुत बड़े कोठे को कूष्मांडों-कुम्हड़ों से भर दिया गया। सामान्यतः देखने में लगता है, वह कोठा भरा हुआ है, उसमें कोई सटे हुए कुम्हड़ों के बीच में स्थान खाली जो है। यों नीबुओं से व भरे जाने पर भी सूक्ष्म रूप में और खाली स्थान रह जाता है, बाहर से वैसा लगता नहीं। यदि उस , कोठे में सरसों भरना चाहें तो वे भी समा जायेंगे। सरसों भरने पर भी सूक्ष्म रूप में और स्थान, खाली रहता है। यदि नदी के रजःकण उसमें भरे जाएं, तो वे भी समा सकते हैं। दूसरा उदाहरण दीवाल का है। चुनी हुई दीवाल में हमें कोई खाली स्थान प्रतीत नहीं होता, ca पर, उसमें हम अनेक खूटियां, कीलें गाड़ सकते हैं। यदि वस्तुतः दीवार में स्थान खाली नहीं होता तो . यह कभी संभव नहीं था। दीवाल में स्थान खाली है, मोटे रूप में हमें मालूम नहीं पड़ता। अस्तु। 3 क्षेत्र-पल्योपम की चर्चा के अन्तर्गत यौगलिक के बालों के खंडों के बीच-बीच में जो आकाश-प्रदेश होने की बात है, उसे भी इसी दृष्टि से समझा जा सकता है। यौगलिक के बालों के खंडों / ca को संस्पृष्ट करने वाले आकाश-प्रदेशों में से प्रत्येक को प्रति समय निकालने की कल्पना की जाय। - a यों निकालते-निकालते जब सभी आकाश-प्रदेश निकाल लिए जाएं, कुंआ बिल्कुल खाली हो जाय, , वैसा होने में जितना काल लगे, उसे क्षेत्र-पल्योपम कहा जाता है। इसका काल-परिमाण असंख्यात " उत्सर्पिणी-अवसर्पिणी है। (r)(r)(r)(r)(r)cR@@R800000000000000 131