________________ भाषाटीकासमेत। (65) अथ वातरोगे गुटिका // गोरोचनं जीरकनागकेशरं तथाहिफेनं खदिरस्यसारः // हिमाभयातितकखपरं तथा मरीचकृष्णानिलनाशिनी गुटी // 27 // भाषाटीका // गोरोचन जीरो नागकेशर और अफीम खैरमार चन्दन हरड कुटकी खपरिया और मिर्च पीपल इनकी गोली वादीको नाश करें // 27 // अथ जानकम्पादिरोगे लेपः॥ तिलतलंसमुत्काल्य नागकुष्टकणोषणैः // तच्चूर्णमदयेत्पश्चाच्चूणचहस्तिनामतम् // 28 // तल्लेपाचमरुद्रोगजानुकम्परुजहरेत् // सन्धिवातंकर्णरोगंचान्यवातविनाशनम् // 29 // भाषाटीका // तिलके तेलमें उबालनो तेलिया मीठौ कूठ पीपल मिर्च इनको समान भागलै चूर्ण करवा तेलमें गेर सिद्ध करे चूर्ण हस्तिकविके मकौ // 28 // पीछे वाको लेपकरे वादीके रोग ये जानुकम्पकी शूलमें लगावे तो हरे और सन्धिवाव वा कानको दर्द तथा और वादीनको नाश करे // 29 // अथ सन्निपातादिरोगेऽवलेहः॥ पथ्याविश्वालवंगंमृतजसदचतुर्जातजातीफलंच