________________ (18) वैद्यवल्लभ / पीपल पांचौ नोन इनको समभागलै चूर्णकर नींबूके रसमें वीसदिन घोटकर दे तो हस्तिकवि कहै कि उदररोग शान्ति होइ // 24 // इति श्रीवैद्यवल्लभे मधुपुरीस्थदक्षगोत्रोद्भवचातुर्वेदिराधाचन्द्रशर्मकतव्रजभाषाटीकायांविरेचीकुष्ठविषगुल्ममन्दानिपांडुकामलोदररोगप्रभृतिप्रवीकारो नाम षष्ठो विलासः // 6 // अथ शुंठीपाकः॥ प्रस्थाविश्वाष्टगुणंच दुग्धं प्रस्थप्रमाणाज्यगुडंचतद्वत् // विपाचयेत्तन्मृदुवह्निनासमं पश्चात्तदन्तः कल्कोहि युज्यते // 1 // चातुर्जात जातिपत्री वासा वह्निफलत्रयम् // देवपुष्पं गजकर्णा भाङ्गीशंठी कटुवयम् // 2 // आकल्लकलोहचूर्ण वंशलोचनकट्फलम् // मृतशुल्बाश्वगन्धाच चूर्णमेषां कृतं समैः // 3 // पश्चाद्विपलमानन्तु यो भजेदिनसप्तकम् // तस्यस्वमौलिकर्णाक्षिरोगजालश्चनाशयेत् // 4 // सर्ववाताञ्जयेत्पीडां कफपित्तोद्भवामपि // हस्तिना कथितः सम्यग्विश्वापाकेति नामतः॥६॥ भाषाटीका // सोंठ पीसी शेर 1 दूध सेर आठ 2 शेर