SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 51
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भाषाटीकासमेत। (47) - अथ कामलारोगेऽवलेहः // . हरिद्रा त्रिफला दूर्वा मृतलोहं कटुत्रयम् // समधुघृतयुक्तेनावलेहः कामलां हरेत् // 22 // भाषाटीका // हरदी हरड बहेडे आवले दूब लोहसार सोंठ मिर्च पीपल इनको समान भाग ले चूर्णकर सहत और बीमें मिलाय अवलेह खायवेसों कामलाको हरे // 22 // अथ पांडुजीर्णकामलारोगे उपचारः // पिष्टवा वेणीतरोर्मूलं समधु तन्दुलोदकैः // पानात्पांडुरुजं जीर्णा कामलां च प्रणाशयेत्॥२३॥ भाषाटीका // वेणी वृक्षकी जड पीस सहत और चावल के जलसों पीने तो पीलीयाको दर्द जीर्ण कामलाको / नाश करै // 23 // अथ उदररोगे चूर्णम् // भारद्वयं मरिचरामठनागराद्वैदेहि पंचलवणेविहितं च चूर्णम् // निम्बूरसेन दिनविंशतिसंविमर्थ दत्तंसुहस्तिकविनोदररोगशान्त्यै // 24 // इति श्रीवैद्यवल्लभे हस्तिरुचिकविविरचिते विरेची कुष्ठविषगुल्ममन्दाग्निपांडुकामलोदररोगप्रभृतिप्रतीकारो नाम षष्ठो विलासः // 6 // भाषाटीका / जौखार सज्जीखार मिरच हींग साठे
SR No.004276
Book TitleVaidyavallabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastikruchi Kavi
PublisherHastikruchi Kavi
Publication Year1843
Total Pages78
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy