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________________ (38) वैद्यवल्लभ / अथार्शारिगुटिका // गुग्गुलं लशुनं निम्बबीजरामठनागरैः॥ गुटी शीतोदकेनोक्ताहर्शः पतति मूलतः॥ 10 // भाषाटीका // भेसा गूगल लसन नीमकी निबौरी हींग सोंठ ये समान भागले जलसो गोलीकर ठंडे जल सो देनी तो बवासीरकों जडसो दूर करै // 10 // ___ अथ भल्लातकविकारे लेपः॥ दारुसर्षपमुस्ताभिनवनीतेन लेपनात् / / भल्लातकविकारोऽयं सद्योगच्छति निश्चितम् // 11 // भाषाटीका // देवदारु सरसों और नागरमोथा ये समान भाग के माखनमें मिलाय लेपकरवेसो मिलाके विकारको निश्चय जल्दी दूर होई // 11 // पुनः॥ नवनीतं तिलादुग्धं पुनः खंडघृते तथा॥ एतद्वयं प्रलेपेन हन्ति भल्लातकव्यथाम् // 12 // भाषाटीका // माखन और तिल दूध और मिश्री वथा घी मिश्री ये दोनों लेप करवेसों भिलावेकी व्यथाको दूर करै // 12 // पुनः॥ 'सितानिम्बूरसः पानादात्रीपत्ररसस्तथा // शरीरे मर्दनादन्ति भल्लातकमहव्यथाम् // 13 //
SR No.004276
Book TitleVaidyavallabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastikruchi Kavi
PublisherHastikruchi Kavi
Publication Year1843
Total Pages78
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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