________________ (28) वैद्यवल्लभ / भागले मोदककर प्रातसमें खायवसो बल और वीर्यको बढावे // 1 // पुनः॥ मर्कटीगोक्षुराभ्यां च शाल्मलीशर्करामलैः // आलोड्य मधुदुग्धाभ्यां भक्षणाद्वीर्यवृद्धिकृत् // 2 // भाषाटीका // कोंचके बीज गोखरू सेमरको मूसरा मिश्री आवरे इनको सहत और दूध मिलाय खायवेसों वीर्यकी वृद्धिकरे // 2 // पुनः॥ सदुग्धमुच्चटामूलं यो भजेदिनसप्तकम् // सपुमाञ्छतनारीणां भोग सृजति सत्वरम् // 3 // भषाटीका // दूधके संग उटंगनकी जड़ याकी प्रविनिधिमें गुआकी जड लेनी, सावदिन. खायवेसों पुरुष सौ स्त्रीनको भोगकर सके जल्दीसों // 3 // पुनः॥ गुञ्जागोक्षुरकैश्चूर्ण मर्कटीबीजशर्करा // दुग्धेन मिश्रितं कृत्वा सद्धस्तिकविना मतः॥४॥ तदौषधं पलार्धतु यः पुमानिशि भक्षयेत् // तस्य वीर्यस्य वृद्धिः स्याद्रलंरूपं विशेषतः // 5 // भाषाटीका // रत्ती शुद्ध गोखरु कोंचके बीज मिश्री इनको चूर्ण दूधमें मिलायके हस्विकविको मतहै // 4 //