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________________ भाषाटीकासमेत। (25) अथ विस्फोटकरोगे कषायः // बासामृतारेणुकमुस्तधान्यपटोलशुठीत्रिफ-॥ लातथैव // भूनिम्बनिम्बैः क्वथितःकषायो विस्फोटकान हन्त्यचिरेणरोगान् // 22 // भाषाटीका // अनौ गिलोय रेणुका याकी प्रतिनिधि पित्तपापडौ डारेहै, नागरमोथा धनीया पटोल सोंठ हरड बहेडे आंबरे और चिरायतो नीमकी छाल इनको बराघर भाग ले काढौ कर पीवेसो बहुत दिनका विस्फोटक रोग मिटै // 22 // अथ विस्फोटकरोगे चूर्णम् // दग्ध्वा मार्तडमूलानि तच्चूर्ण पलमानतः।। मृततालपुटीयुक्तं दीयते दिनसप्तकम् // 23 // तत्पथ्ये चणका योज्या दुग्धोदनयुतेन वा // विस्फोटवान् प्रकुर्वाणः सशीघ्रजायते सुखी॥२४॥ भाषाटीका / / आककी जडकी राख ताको चूर्ण एक ल हस्तालकी भस्म पुटयुक्त सातदिन देवे / / 23 / / खाप पश्य चना तथा दूध भावके संग देवे वो विस्फोटक रोगवारौ ऐसे करै तो बहुत जल्दी सुखी होई // 24 // अथ विस्फोटकत्रणरोगे लेपः // एला जाती फल तुत्थं गोघृतेन च मर्दयेत् / / हस्तिना कथितं हन्ति लेपाद्विस्फोटकत्रणम्॥२५॥
SR No.004276
Book TitleVaidyavallabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastikruchi Kavi
PublisherHastikruchi Kavi
Publication Year1843
Total Pages78
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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