________________ भाषाटीकासमेत। (19) भाषाटीका // मिश्री राल, त्रिफला ये बराबर लै पानीमें पीने सो गरम वात प्रदर स्त्रीको पित्तको पीडा मिटै३९ . दति श्रीवैद्यवल्लभे मथुरास्थदक्षगोत्रोद्भवचातुर्वेदि राबाचंद्रशर्मकतब्रजभाषाटीकायां स्त्रीरोगप्रतीकारो नाम द्वितीयो विलासः // 2 // अथ कासश्वासे गुटिका // पारदं गंधकं नागं सव्योषैः सानलैः समम् // शिगुरसेन संचूर्ण प्रदेयाभावना दश // 1 // नागपत्ररसेनैव चाकस्य रसेनच // बेलप्रमाणा कफजित्कार्या सा गुटिकोत्तमा॥२॥ मंदाग्निकफरोगेषु कासश्वासे विशेषतः // आध्मानपवनातौंच प्रदेया सुखकारिणी // 3 // भापाटीका // पारौ,शुद्धगंधक,शुद्धतेलीया, मीठो शुद्ध और सोंठ मिर्च पीपल चित्रक ये बराबर ले सहजनेके रस की दश पुट दैनी // 1 // तापीछे नागरपानके रसमें वथा अदरखके रसमें घोट मिर्च के बराबर गोली बनानी ये गोली उत्तम कफको जीते // 2 // और मंदामि कफके रोग कास श्वासको विशेष कर और अफरा वादीवारेको देवे सो सुखी होइ / / 3 // __ कफश्वासे गुटिका // लवंगमरिचैस्तुल्यैत्रिफलासारतः समैः /