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________________ भाषाटीकासमेत। (11) अर्थ गर्भवृद्धिप्रयोगः॥ धातकीपुष्पनीरं तु प्रदेयं सितयासह // दिनत्रयमतोनार्याः पतद्गर्भश्च तिष्ठति // 9 // भाषाटीका // धायके फूल और मिश्री ठंडे जलसों वीन दिन लुगाई पीवै वो पडता गर्भ ठेर जाय // 9 // पुनः॥ तिलाश्च शर्करा पद्मकंदं च मधुनान्वितम् // सदास्य भक्षणानार्याः पतगर्भश्च तिष्ठति // 10 // भाषाटीका // विल मिश्री कमलकंद ये सहतमें मिलाय सदा याको खाय तौ वासों गिरवा गर्भ ठेरे // 10 // पुनः॥ वरी विश्वाश्वगंधा च मधुकं गराट् समैः॥ अजादुग्धेन पानाच्च नार्या गर्भस्य वृद्धिकृत् // 11 // भाषाटीका // शतावर सोंठ असगंध जेठीमधु भाँगरौ ये समान भागलै बकरीके दूधसों पीवे तो लुगाईको गर्भ बढ़ // 11 // .. . पुनः // . शीतोदकेन देयानि जाशूसकुसुमानिच // तस्माद्भवति नारीणां गर्भवृद्धिः सुनिश्चिता // 12 // / भाषाटीका // जाशुकीके फूल ठंडे जलके संग देय वो सो लुगाइके गर्भकी वृद्धि निश्चय होई // 12 //
SR No.004276
Book TitleVaidyavallabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastikruchi Kavi
PublisherHastikruchi Kavi
Publication Year1843
Total Pages78
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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