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________________ आवेग : उप-आवेग मानसशास्त्र के अनुसार आवेग छह हैं-भय, क्रोध, हर्ष, शोक, प्रेम और घृणा। आवेगों का जीवन में बहुत बड़ा प्रभाव है। सारे मानवीय आचरणों की व्याख्या आवेगों के आधार पर की जाती है। किस प्रकार के आवेग में किस प्रकार की स्थिति बनती है, यह स्पष्ट है। एक व्यक्ति का मुक्का उठा और हमने समझ लिया कि वह गुस्से में है। आवेग के आते ही एक प्रकार की स्थिति बनती है, अनुभूति होती है। उसका प्रभाव स्नायु-तंत्र पर पड़ता है, पेशियों पर होता है। एक प्रकार की उत्तेजना पैदा हो जाती है। उत्तेजना के अनुरूप सक्रियता आ जाती है। पेशियां उसी के अनुसार काम करने लग जाती हैं। आवेग का प्रभाव हमारे स्नायु-तंत्र पर, पेशियों पर, रक्त पर और रक्त के प्रवाह पर, फेफड़ों पर, हृदय की गति पर, श्वास पर और ग्रंथियों पर होता है। भय का आवेग आते ही स्नायविक तरंग उठती है। वह मस्तिष्क तक उस संदेश को ले जाती है। उत्तेजना पैदा हो जाती है। वह पाचन-संस्थान को भी प्रभावित करती है। पाचन अस्त-व्यस्त हो जाता है। उत्तेजना मांसपेशियों तक पहुंचती है। वे सक्रिय हो जाती हैं। एड्रिनल ग्रंथि का स्राव अधिक होता है, उसके कारण व्यक्ति में कुछ साहसिक कार्य करने की क्षमता जागृत हो जाती है। वह साहसिक बनकर प्रहार करने की स्थिति में आ जाता है। यह सारा शारीरिक परिवर्तन आवेग के कारण होता है और फिर बाहर से उसके लक्षण भी दिखाई देने लग जाते हैं, जिनके आधार पर हम समझ सकते हैं कि व्यक्ति भयभीत है, क्रोधी है। आवेगों के कारण शारीरिक क्रियाओं में रासायनिक परिवर्तन, शारीरिक लक्षणों में परिवर्तन और अनुभूति में परिवर्तन होता है। इन 7 कर्मवाद
SR No.004275
Book TitleKarmwad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year2000
Total Pages316
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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