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________________ समस्या का मूल : मोहकर्म कुछ व्यक्ति नहीं जानते कि उन्हें क्या करना है? कुछ व्यक्ति जानते हैं पर करने में समर्थ नहीं होते। कुछ व्यक्ति जानते हैं किन्तु सही-सही नहीं जानते। कुछ करते हैं, पर सही ढंग से नहीं करते। इस प्रकार अनेक समस्याएं हैं और प्रत्येक व्यक्ति को किसी-न-किसी समस्या का सामना करना पड़ता है। ये समस्याएं क्यों हैं? इनका हेतु क्या है? कर्मशास्त्र में इन प्रश्नों पर विमर्श किया गया और इनका समाधान भी दिया गया। ज्ञान की दूसरी शाखाएं, जो स्नायविक, उत्तेजना तथा परिस्थिति के कारण मानवीय आचरण की व्याख्या करती हैं, वे शरीर से आगे नहीं जातीं। यह उनका विषय भी नहीं है। उनका विषय शरीर से प्रतिबद्ध है। मानसशास्त्र ने मनोविश्लेषण किया और मानसिक समस्याओं के बारे में विचार भी किया, उनका समाधान भी किया। किन्तु वह समाधान परिस्थिति और परिस्थिति-जनित स्नायविक उत्तेजना-इन दो में समाहित हो जाता है। वह इन दो से आगे नहीं जाता। वह अवचेतन मन तक जाता है। किन्तु अवचेतन मन में भी ऐसा क्यों होता है, इसका कोई सही समाधान प्राप्त नहीं होता। ____ कर्मशास्त्र ने इनके मूल कारणों पर भी विचार किया है, परिस्थितियों पर भी विचार किया है। उसने परिस्थितियों को अस्वीकार नहीं किया है, क्योंकि परिस्थितियां निमित्त बनती हैं। निमित्त को अस्वीकार नहीं किया जा सकता। किन्तु जो घटना होती है, उसका मूल हेतु क्या है, इसके विमर्श में जब हम जायें तो पता चलेगा कि प्रत्येक समस्या के पीछे किसी-न-किसी कर्म की कोई प्रेरणा है। 66 कर्मवाद
SR No.004275
Book TitleKarmwad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year2000
Total Pages316
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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