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________________ नहीं है। ___ हम कर्मवाद को वर्तमान की परिस्थितियों के संदर्भ में समझें और उसका गहराई में अवलोकन करें। कर्मवाद की सबसे अनुकूल व्यवस्था है विकेन्द्रित अर्थ-व्यवस्था, जहां कर्मवाद के सिद्धान्त की भी सुरक्षा होती है और कर्मवाद के द्वारा जो एक मर्म सिखाया जाता है कि बहुत परिग्रह * न करें-यह सिद्धान्त भी फलित होता है। इसके साथ-साथ सामाजिक विषमता का समाधान भी मिलता है। . विकेन्द्रित अर्थ-व्यवस्था अहिंसा के अति निकट है। अध्यात्म का सामाजिक रूप है-लोकतन्त्र और लोकतन्त्र में विकेन्द्रित अर्थ-व्यवस्था। यह अध्यात्म या धर्म का व्यावहारिक प्रतिफलन है। ____ हम धर्म को, पुण्य को और पुण्य के कार्य को ठीक से समझें। पुण्य की क्या अनुभूति होती है और धर्म की क्या अनुभूति होती है? धर्म का हमारे जीवन में क्या प्रतिफलन है? इन सारे प्रश्नों पर हम नये सिरे से सोचें तो धर्म की सारी गुत्थियां सुलझाई जा सकती हैं। पुण्य और कर्म की धारणा को भी एक स्वस्थ रूप मिल सकता है और वर्तमान की बड़ी समस्या-सामाजिक विषमता को भी समाधान मिल सकता है। आवश्यकता इतनी ही है कि हम मूल को पकड़ें। 66 कर्मवाद
SR No.004275
Book TitleKarmwad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year2000
Total Pages316
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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