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________________ भाव का जादू अध्यापक ने कहा-सेठ साहब! आपका लड़का पढ़ने में बहुत कमजोर है। पर चिन्ता की कोई बात नहीं है। मैंने अनेक गधों को पढ़ाकर योग्य आदमी बनाया है। सेठ ने कहा-धन्यवाद! आश्चर्य है कि आज के आनुवंशिकी विज्ञान ने इतनी प्रगति कर ली कि गधे को भी आदमी बनाना संभव हो सका है। आनुवंशिकी विज्ञान इतना आगे बढ़ा या नहीं, पर अन्तर्जगत् में ऐसा होता है कि आदमी गधा बन जाता है और गधा आदमी बन जाता है। भीतर के जगत् में बहुत आश्चर्यकारी परिवर्तन होते हैं। सूक्ष्म जगत् के परिवर्तनों के आधार पर कर्मवाद का सिद्धान्त बना। उसका एक सूत्र है-सव्वजोणिया खलु जीवा-जीव सार्वयोनिक होते हैं। किसी भी योनि का जीव किसी भी योनि में जाकर उत्पन्न हो सकता है। यह * सार्वयोनिकवाद कर्मवाद का महत्त्वपूर्ण सिद्धान्त है। जीवन की उत्पति में योनि की कोई प्रतिबद्धता नहीं है। गधा मरकर आदमी बन सकता है और आदमी मरकर गधा बन सकता है। अन्तर इतना-सा है कि आनुवंशिकी विज्ञान के अनुसार जीते-जी इतना बदला जा सकता है और कर्मवाद विज्ञान के अनुसार बदलने के लिए मरना पड़ता है। बिना मरे ऐसा परिवर्तन नहीं हो सकता। तब प्रश्न होता है कि क्या प्रत्येक परिवर्तन . के लिए आदमी को मरना ही पड़ता है या और कोई उपाय भी है? ____ कर्मवाद के अनेक नियम हैं, अनेक रहस्य हैं। आदमी उन रहस्यों और नियमों को पूरा नहीं जानते, इसीलिए अनेक भ्रान्तियां उत्पन्न होती हैं। कर्मवाद का एक नियम है-शक्ति का अल्पीकरण और शक्ति का संवर्धन। कर्म की जो फलादान की शक्ति है, उसको कम भी किया भाव का जादू 241
SR No.004275
Book TitleKarmwad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year2000
Total Pages316
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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