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________________ पर्दे के पीछे कौन? यह जगत् एक रंगमंच है। इस पर नाटक खेला जा रहा है। प्रत्येक व्यक्ति उसमें भाग ले रहा है। जो खेला जा रहा है, वह हमारे सामने है। परन्तु सब कुछ सामने नहीं है, कुछ पर्दे के पीछे है। जो अभिनय पृष्ठभूमि में हो रहा है, वह बड़ा विचित्र है। ___लोग जानना चाहते हैं कि ध्यान का प्रयोजन क्या है? यह महत्त्वपूर्ण प्रश्न है। क्योंकि बिना प्रयोजन कुछ भी करना बुद्धिमत्ता नहीं है। हम कुछ भी करें, प्रयोजनपूर्वक करें। जो व्यक्ति बिना प्रयोजन कुछ भी करता है, समझदार नहीं होता। समझदार वही होता है, जो प्रवृत्ति से पूर्व अपने प्रयोजन का निर्धारण करता है। ध्यान का प्रयोजन है उसकी खोज करना जो पर्दे के पीछे अभिनय कर रहा है। उसकी केवल खोज ही नहीं, उसको समाप्त कर देना है। एक भाई ने कहा-मैं उपासना करने बैठता हूं, तब न जाने कहां से अवांछनीय और अतर्कणीय विचार आते हैं, जिनमें मैं उलझ जाता हूं। उपासना छूट जाती है। बैठता हूं अच्छा करने के लिए पर विचार और भाव आते हैं बुरे। सोचता हूं, सदा अच्छा आचरण करूं और होता है बुरा आचरण। सदा अच्छा सोचना चाहता हूं, पर आते हैं बुरे विचार। यह स्थिति प्रायः सब व्यक्तियों की बनती है। कोई भी इसका अपवाद नहीं है। सब लोग जानते हैं कि शान्तिपूर्ण और स्वस्थ जीवन जीने के लिए अच्छा होना, अच्छे आचरण करना बहुत आवश्यक है। समाज तभी स्वस्थ रहता है, जब उसमें रहने वाले व्यक्ति स्वस्थ आचरण करते हैं। फिर यह अपराध क्यों होता है? क्यों कोई अपराधी बनता है? इसका हेतु क्या है? इस हेतु की व्याख्या अनेक स्तरों पर, अनेक शाखाओं 200 कर्मवाद
SR No.004275
Book TitleKarmwad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year2000
Total Pages316
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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